भगवान राम को जब वनवास हुआ तो उन्हें एक भी ऋषि मुनि ने राज महल को लौट जाने के लिए नहीं कहा. ऋषि मुनि तो चाहते है की राम दुरितो और वंचितों के बिच रहे, राज महलों में नहीं.
बुद्धि बाहर की और जाने वाली चेतना है. श्रद्धा अंतर्मुखी चेतना है. सती दक्ष की पुत्री है. वह बहोत तर्क वितर्क करती है और राम का अस्तित्व प्रमाणित करना चाहती है. वह बुद्धि का प्रतीक है. जब यह बुद्धि यज्ञ में आहूत हो जाती है तो अंतर्मुखी चेतना बन जाती है. पार्वती श्रद्धा का प्रतीक है.
भगवान राम के पास ऐसा सुख है जो काल, देश और व्यक्ति निरपेक्ष है.
राम को जब महाराज दशरथ ने कहा की कल उनका राज्याभिषेक होने वाला है तो उनमे उतनी ही सुख और प्रसन्नता थी जितनी उनको कैकयी माता ने वनवास की आज्ञा करने पर थी.
राम वन में भी उतने ही सुखी और प्रसन्न थे जितने वो अयोध्या में थे.
राम कैकेयी माता से बात करते वक़्त उतने ही सुखी और प्रसन्न रहते थे जितने वे लक्ष्मण के साथ होने से रहते थे.
बुद्धि बाहर की और जाने वाली चेतना है. श्रद्धा अंतर्मुखी चेतना है. सती दक्ष की पुत्री है. वह बहोत तर्क वितर्क करती है और राम का अस्तित्व प्रमाणित करना चाहती है. वह बुद्धि का प्रतीक है. जब यह बुद्धि यज्ञ में आहूत हो जाती है तो अंतर्मुखी चेतना बन जाती है. पार्वती श्रद्धा का प्रतीक है.
भगवान राम के पास ऐसा सुख है जो काल, देश और व्यक्ति निरपेक्ष है.
राम को जब महाराज दशरथ ने कहा की कल उनका राज्याभिषेक होने वाला है तो उनमे उतनी ही सुख और प्रसन्नता थी जितनी उनको कैकयी माता ने वनवास की आज्ञा करने पर थी.
राम वन में भी उतने ही सुखी और प्रसन्न थे जितने वो अयोध्या में थे.
राम कैकेयी माता से बात करते वक़्त उतने ही सुखी और प्रसन्न रहते थे जितने वे लक्ष्मण के साथ होने से रहते थे.
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