Friday 25 November 2011

कोलकाता राम कथा २०११ का एक प्रसंग (A reference of Kolkata Ram Katha 2011)

भगवान राम का अपराध तो रावण ने किया और इन्द्र के बेटे जयंत ने भी किया.
रावण ने सीता का अपहरण किया लेकिन उसके साथ किसी तरह का अभद्र व्यवहार नहीं किया. रावण ने सीता के अंग को अभद्र रूप से स्पर्श नहीं किया. उसने सीता को अपहरण के बाद अपने घर में न रखते हुए उसे मर्यादापूर्वक अशोक वन में रखा.
जयंत ने जब राम और सीता चित्रकूट में एकांत में बैठे थे तब सीता के पैर में चोच मारकर उसे घायल किया. वाल्मीकि रामायण में तो उल्लेख है की उसने सीता के वक्ष स्थल पर चोच मारी. वैसे देखा जाए तो जयंत का अपराध तो बहोत बड़ा है लेकिन राम ने उसे क्षमा कर दिया. और रावण को तो सकुल सदल मारा. रावण के शरीर के टुकड़े टुकड़े किये. उसके पेट के भीतर जो अमृत का कुम्भ था उसे नष्ट करके उसे मारा.
यह देखने में तो बड़ी विचित्र बात लगती है. लेकिन ऐसा इसलिए किया क्यों की जयंत कौवे का भेष बनाकर आया था और रावण साधू का वेश बनाकर आया. भगवान को दंभ और भेद कतई पसंद नहीं आता.