Friday 2 September 2011

Manas 700, Day 8, Part I - Ram Katha by Morari Bapu at Kailash Mansarovar as far as I understood.

एक युवक ने प्रश्न किया आपने कहा था की धर्म सुख विरोधी नहीं होना चाहिए.
सुख है, सुख के कारण है, सुख का उपाय है, सुख संभव भी है.
तो क्या धर्म दुःख विरोधी होना चाहिए.

उत्तर है की धर्म किसीका भी विरोधी नहीं होना चाहिए.
विनोबा भावे हरदम कहते थे की लड़ाई दो धर्मो के बीच नहीं दो अधर्मो के बीच होती है.

विशेषण लगाने से दुसरे का विरोध होता है.

यहाँ दुई की सुई ना चुभती
घुले बतासा पानी में

यह मस्तो की सभा है, यहाँ सोच कर आना जी.

धर्म का प्रचार करने की आवश्यकता नहीं है. धर्म निज सम्पदा है.

ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर.

हाथ में फांसा नहीं है तो क्या हुआ जुआ तो मन में चल रहा है.

कली खिल कर फूल बनने को एक रात लगती है.

कथा से हमें रूपांतरण का पता नहीं चलता.

दुष्ट का कर्म भी विफल नहीं होता इष्ट का कैसे होगा.

२०० - ३०० साल में गाँधी बहोत प्रासंगिक हो जायेंगे.

प्रयत्न को छोड़ देने की इच्छा बुढ़ापे के आने का संकेत है.

मेरी एक भी कथा विफल नहीं हुई.

किसी को कथा भोग के पहले, किसी को भोग के समय और किसी को भोग ने भोगने के बाद लगती है.

परमपिता भोले भंडारी ने कथा की स्थापना की है.

लकड़ी पर बहोत आवरण है. कथा के प्रवाह में पड़े रहो, सब आवरण गल जायेंगे और लकड़ी तर जाएगी. जो उसका सहारा लेगा उसे भी तार देगी.

मोम बत्ती अपने ही मोम से प्रकाशित होगी. बाजूवाली मोमबत्तीयो का मोम काम का नहीं. उधार लिया हुआ काम नहीं आएगा.

हांक भगाने के लिए भी होती है, पास बुलाने के लिए भी होती है.

विजय शब्द अच्छा नहीं असर अच्छा है.

जो कुछ हमें मिला है किसीसे मिला है, उसीसे मिला है.

सत्य की वाणी, सौंदर्य, ज्ञान को व्यक्ति का समझना भूलो की परंपरा पैदा करता है.

जैसे गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर ने कहा है की जब शब्द सत्य की गहराई से आते है.

कोई भी बड़ा व्यक्तित्व नक़ल करना नहीं सिखाता.

जो जहा का होता है, वही उगता है.

सत्य, विवेक, महत्त्व आयेगा जो उसके प्रभाव में जियेगा.

प्रीति का मार्ग याने भक्ति योग. राग द्वेष से परे जाना याने ज्ञान योग. नीति का मार्ग याने कर्म योग.

हनुमान चालीसा में जो प्रेत कहा गया है वो व्यक्ति जो सम्मान चाहता है वही है.

जितने द्वंद्व है भूत है.

साधक सुख दुःख में सम रहता है.

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